
“अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा” इस वाक्य को हमारे आसपास रहने वाले लोग बड़ी आसानी से चर्चा में शुमार करते हैं और यह भी जानते व पढ़ते रहते हैं कि पानी की उपलब्धता दिन दुनी रात चौगनी गति से कम हो रही है, परन्तु यह जानते हुए भी कि पानी का कोई विकल्प नहीं है हम इसको बचाने के प्रति गंभीर नहीं हैं ।
दुनिया में पानी ही एकमात्र चीज़ है जिसका निर्माण नहीं किया जा सकता। यह पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है। पानी की उपलब्धता के विषय में अधिक जानने की रुचि भले ही हममें न हो परन्तु उसकी कमी ने हम सभी को कभी न कभी परेशान अवश्य किया है ।
विश्व का बड़ा भाग जलसंकट की पीड़ा भोग रहा है, इसके बावजूद हम ये मानकर चलते हैं कि जब तक जीवन है पानी मिलता रहेगा। पानी के समाप्त होते ही इस धरती से जीवन स्वयं ही समाप्त हो जाएगा, यही कड़वी सच्चाई है।
तेज़ी से बढ़ रही जनसंख्या, जल स्रोतों के प्रति हमारा उपेक्षा का भाव एवं आसानी से मिलने पर पानी के दुरुपयोग ने हमें अत्यधिक गंभीर संकट तक पहुंचा दिया है। पानी के उपलब्ध साधन समाप्त होने पर पानी कहाँ से मिलेगा ? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
पानी का कोई विकल्प नहीं है. साथ ही पानी कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसका निर्माण मनुष्य के लिए संभव हो, ऐसी स्थिति में जब ‘जल संचय’ ही जल संकट का एकमात्र समाधान है, तो हमें हर उस दिशा में तत्काल प्रयास करने होंगे जहाँ हम पानी को अपने लिए और अपने बाद आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकें ।
ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले पानी को लेकर हमारे बीच में कई गलत फहमियां हैं। लोग समझते हैं कि ज़मीन के नीचे कोई नदी बहती है या वहां तालाब जैसी कोई चीज़ है, जिसमें हमेशा पानी भरा रहता है और यह हमें सदा मिलता रहेगा, यहाँ यह कहना आवश्यक है कि ज़मीन के नीचे इस तरह कोई चीज़ नहीं है।
ज़मीन में कुदरती तौर पर झिरें होतीं हैं जिनमें बारिश का पानी मिटटी से रिसकर भर जाता है फिर यही पानी हमें भूजल के रूप में मिलता है यदि किसी क्षेत्र विशेष में सौभाग्य से पर्याप्त मात्रा में पानी मिल भी गया हो तो इस सच्चाई से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता है कि वो भविष्य में कम या ख़त्म नहीं होगा। अगर हम पानी का संचय नहीं करेंगे तो पूरी दुनिया का भूजल ख़त्म हो जायेगा तो फिर क्षेत्र विशेष में कैसे
पानी मिलेगा, इसे गंभीरता से समझना होगा कि अगर आपके घर के नलों में पानी आता है तो ये मत सोचिये कि आता ही रहेगा।
देश के लगभग बहुत सारे शहर सूखे की चपेट में हैं। हमें आज ही पानी की खेती के बारे में सोचना होगा, बल्कि खेती करना शुरू करना होगा। चौंकिए नहीं मैं आपसे खेतों में हल चलाने की बात नहीं कर रहा हूँ। मैं तो आपसे सिर्फ यह कहना चाह रहा हूँ कि पानी की खेती संभव है, बस आप अपने घर, प्रतिष्ठान व औद्योगिक क्षेत्र में ‘रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम’ लगवाएं व छत से बेकार बह जाने वाले पानी को इस सिस्टम के माध्यम से अपने बोर को रिचार्ज करें फिर उसका जादू देखें ।
अगर आपकी बोर का पानी खारापन लिए हुए है तो शीघ्र ही उसका खारापन समाप्त होने लगेगा, यदि पानी में फ्लोराइड, क्लोराइड एवं सल्फेट आदि आते हैं तो वर्षा जल द्वारा इन्हें कम करके पानी की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है, क्योंकि तकनीकी रूप से सही डिजाईन किये गए रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के द्वारा मात्र एक घंटे की बारिश में ही आप अपने घर की एक हजार वर्गफुट की छत से बीस हजार लीटर तक पानी बचा सकते हैं। यानी पूरे बारिश के मौसम में अगर पचास घंटे की बारिश हुई तो आप लगभग दस लाख लीटर तक पानी बचा सकते हैं। फिर सोचिये अगर हमने ईमानदारी से पानी बचाया तो क्या पानी की परेशानी आएगी ।
आज भूजल स्तर अठारह सौ फीट के भी नीचे पहुँच गया है। अगर हर घर इतना पानी बचाए तो दावे के साथ कहा जा सकता है कि मात्र दो-तीन बरसाती मौसम में ही जल स्तर चालीस-पचास फिट तक आ जायेगा। एक बात और जो पानी बचाने से जुड़ी हुई है, वह है ज्यादा से ज्यादा घने छायादार वृक्ष लगाने की । तो आप अपने घर में या घर के आसपास कम से कम एक वृक्ष ज़रूर लगायें।
वर्षा तो हर वर्ष होती रहेगी, कहीं कम कहीं ज्यादा, पर हमने वर्षा जल नहीं बचाया तो हम पानी के लिए तरसते जायेंगे ज्यादा, ज्यादा और ज्यादा ।